अलबेली की दुनियाँ
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हक़ की लड़ाई

 हक़ की लड़ाई में हर क़दम साथ....

 बात कीजिए, बताइए, बोलिए ....

अपने अलबेलेपन को सम्भालिए, सींचिए !



 बस देवी कह कर पूजने का ढोंग मत करना...

— thinking about देवी पूजन.


बुराई पर अच्छाई की जीत वाले टेक्स्ट फ़ॉर्वर्ड कर लिए हों तो, दशानन के जलते पुतले के GIF एंजॉय कर लिए हों तो ज़रा भीतर भी झाँक लीजिएगा....


फिर सोचिएगा...
भीतर जो दशानन बैठा उसका क्या ?





क्या कहा.... छुट्टी ?

मने हमारी डबल ड्यूटी लगी पड़ी और आपकी छुट्टी हुई .......!!!




2018 दिल्ली

2019 मुंबई

यू॰एन॰ में पर्यावरण पर भाषण बाज़ी सुन कर ताली बजा ली हो तो अपनी भी सुध ले लीजिए। बचा लीजिए पेड़ों को, नहीं तो कुछ नहीं बचेगा।

ना बारिश, ना साँस !











 अँधेरे के हज़ार चौराहों से होकर गुज़रते

आख़िर वहीं पहुँचती हूँ जहाँ सूरज के उगने की आस ज़िंदा है

रुके तो यहीं जम जाएँगे....




चुप रहो ज़रा सपना पूरा हो जाने दो
घर की मैना को ज़रा प्रभाती गाने दो
खामोश धरा, आकाश, दिशायें सोयीं हैं
मुझको आँचल में हरसिंगार भर लाने दो
मिटने दो आँखों के आगे का अंधियारा
पथ पर पूरा-पूरा प्रकाश हो लेने दो
...............................सर्वेश्वरदयाल सक्सेना

( मन में गूँजती रही कविता, हरसिंगार का प्रेम झरता रहा )



सुनो लड़कियों
दो हाथों को आठ हाथ बनाने की ज़रूरत नहीं

हाँ अपने हक़ में मुट्ठियाँ तान कर उठना सीखो !



 

नाम उसका अधरों पर धर, साज़ छेड़ा है
वो वहीं दूर से ही, सुन तो लेगा ना !





तमन्ना मचल कर संभलना ना जाने....






आँगन बैठ कर गाए जाने वाले गीत,
देहरी पर बैठ कर लिखे जाने वाली कविता से
कितने अलग थे...

(कभी-कभी कलम किसी ख़याल से लिपटकर डूब जाती है)

 


मंदिर वाली ग्लैम लुक ...  ट्रूली इन्स्पायर्ड

क्या कहते हो !



ये सारे अच्छे आयडीआज़ परीक्षा हॉल में ही क्यूँ आते हैं

इधर आपने नोट करने के लिए सर झुकाया नहीं कि उधर खुसर फुसर शुरू। अब खड़े रहिए चौकस चौकन्ने पूरे तीन घंटे, पीजिए चाय 

सोच रही हूँ चाय ना होती तो हम मास्टरों का क्या होता !!



 अंजाम-ए-मोहब्बत से तुम हो अभी बेगाने.....



एक शाम चुराई थी, बस संग बिताने को

उस शाम के क़तरों को, नाज़ुक से सम्भाला है

ये प्यार का मौसम भी इकदम अपने वाला है ....



यही सोच के जी बहला लें और क्या... 

अलबेली तो तय किए बैठी, आप बोलो क्या करोगे ?



किताबों ने जिन्हें जोड़ा उन सबके नाम .....



खुली किताबें, उड़ा-उड़ा मन, 

ढाई आखर साथ रहे.....



सबसे ख़तरनाक है 

ख़बरों को हिंदू मुसलमान बना दिया जाना ...



 बस जो कुछ शब्दों में कहा जाए वो लकीरों से कह कर देखती हूँ ...... 

आप हाल पूछते मैं यही कहती। शायद मेरी शक्ल और शब्दों का तालमेल कम बैठता है तभी तो कोई यक़ीन ही नहीं करता जब हँस कर कह देती हूँ कि थोड़ा दर्द है ...  

फिर लगा शायद ऐसे ठीक-ठीक कह पाऊँ ...



खुले केश अशेष शोभा भर रहे

पृष्ठ ग्रीवा बाहु उर पर तर रहे !

वासना की मुक्ति, मुक्ता त्याग में तागी

(प्रिय) यामिनी जागी !

——————————निराला



 हमको मालूम है जन्नत की हकी़क़त लेकिन.….



प्यारे चार्ली

प्यार वाली बात इस दुनिया को कभी समझ ही नहीं आयी... आती भी कैसे, यहाँ लोग ताक़त के नशे में चूर जो हैं

.... हैपी बर्थडे ग्रेट मास्टर...



 भारी भरकम कामों के बीच एक बेचारा इतवार.....



यही मेरी शरणस्थली है....

कला ही मेरी शरणस्थली है, अपने सब बिखरे टुकड़े समेट, मैं यहीं आकर जोड़ पाती हूँ। 

इधर Sitaram Artist सर जब मिथिला पेंटिंग की वर्कशॉप में इस कला की बारीकियाँ समझा-सिखा रहे तो मैं चुपचाप सब देख-समझ, सीख-संजो रही थी।हालाँकि कुछ-कुछ पहले से भी जानती हूँ पर सीखते हुए लगता रहा कितना कुछ नहीं जानती थी। 

उन्होंने मधुबनी लोक कला का हर वो पक्ष समझाया जो सांस्कृतिक समझ के बिना सम्भव नहीं। बहुत सारे पैटर्न बनाए और अपनी कक्षा में हाज़िरी देने वाले साथियों को इन सभी पैटर्न पर अपनी समझ और क्षमता के अनुसार प्रयोग और अभ्यास करने की सलाह दी।

मुझे सबसे अधिक वह पैटर्न पसंद आया जिसमें पिता का हाथ अपनी बेटी के सर पर रखा था,अपने पिता को याद कर मैंने भी यह पैटर्न बनाया ताकि वो जहाँ भी हों उन तक मेरा मन का कहा पहुँचे, ताकि उन्हें कह सकूँ, आप हर घड़ी याद आ रहे हैं पापा।कोई पल नहीं टलता.....

हाँ, तो कल जब अनु जी ने अपना होमवर्क शेयर किया, मेरा भी मन हुआ कि मैं वह शेयर करूँ जो सीखा, प्रयोग किया।




 आज के ‘अंधेरे में’ एक स्त्री जब-जब लिखेगी सभ्यता, संस्कृति के उजले मुँह का ढोल पीटने वालों के मुँह पर बलात्कार लिखेगी।  

... मर गयी संस्कृति, सभ्यता मर गयी, मठाधीश बच रहे।



अब रात की दीवार को ढाना है ज़रूरी   

ये काम मगर मुझसे अकेले नहीं होगा !




रचनाएँ अगर आपके अपने भी जीवन का दस्तावेज़ हों तो इतिहास में छोटी-सी सही पर अपनी जगह बना ही लेती हैं।

मिट्टी की गणगौर बनाने की कला जब कभी ख़त्म होती दिखेगी तब कोई डिजिटल दस्तावेज़ खँगालता यहाँ,  अलबेली और उसकी दुनिया तक पहुँच ही जाएगा।

है ना जी !



 फ़ेसबुक साध्वी ....

 सरकारें तैयार रहें हमने नया मोर्चा खोल लिया है


 शिव शिव शिव ....


 हक़ की लड़ाई में हर क़दम साथ....







छोटी बहन आत्मा होती हैं जिन्हें सब पता होता है कि कहाँ किस बिंदु पर हम कैसे हैं.....

हमारी मुस्कुराहट को सम्भाले रखती है और दुःख को बाँट लिया करती हैं छोटी बहने।इसलिए चेतू में हम सबकी (हम पाँचों भाई-बहन की) आत्मा का एक-एक अंश बसता है जिसे अपनी गुलाबी बातों की पोटली में सम्भाले रहती है वो।हमें जान से भी प्यारी है हमारी सबसे छोटी बहन।

वैसे, किसी काम को करने-करवाने के पीछे लग जाए तो हमें दम ना लेने दे और अगर भाँप ले कि कोई बात परेशान करने वाली है तो उसे पास फटकने ना दे।

मेरी सबसे अच्छी दोस्त, मेरी राज़दार, मेरे साथ हर अच्छे-बुरे पर हँस-रो लेने वाली मेरी आत्मा ....... 

जन्मदिन बहुत मुबारक चेतू  (चेतना शर्मा) 





 जो छोटी बहन जैसा दोस्त ना होता...

तो कौन सुनता अलबेली के मन की इतने इत्मिनान से,
किससे कहे होते मोहब्बत के पहले अफ़साने,
किसके की होती सारी दुनिया की शिकायतें,
किसके साथ बाँटती मन पूरा-पूरा, ज़िंदगी आधी-आधी।





 तुम कितने सुंदर हो अप्रैल.....

ये किसने तुम्हें फूहड़पन से जोड़ दिया !

तुम चैत की धूप में खिले बोगेनवेलिया, सेमल के फूल से जन्मी रुई का पहला फ़ाहा, तुम लाल-लाल झूमरों से झूलते चील (बॉटल ब्रश) के फूल।

तुम मौसम की नयी करवट, तुम एक साथ पतझड़ और बहार।अलबेली के लिए तुम सबसे अलबेले।

प्यार तुम्हें अप्रैल ...


झूठ पर झूठ, झूठ पर झूठ कितनी बार

नहीं चलेगी अबकी जुमलों की सरकार !



एक दो दिन की बात थोड़ी हती ... 

पूरे जीवन भर की बात हते !!!



'सबसे बड़ी सौग़ात है जीवन’....



 हमारी बारी में तो ना हुआ

 हम फ़ेल होते-होते बचे मैथ्स में। मैथ्स का पेपर देने का वो भयानक मंज़र आँखों से जाता नहीं। इस ख़बर को पढ़-सुन ग़ुस्सा आ रहा बहुत ज़ोर से।

दो दिन मैं हनुमान जी की शरण में बैठी यही जाप करती रही
‘कौन से संकट मोर ग़रीब को, जो तुमसे नहीं जात है टारो
बेगी हरो हनुमान महाप्रभु, जो कछु संकट होय हमारो’

बताओ, कित्ती नाइंसाफ़ी है आज के पढ़ने वाले बच्चों के साथ भी और पहले के हम मैथ्स झेलने वालों के साथ भी।




#Leak_Hai_Kya #CBSEPaperLeakExpose
29.03.2018 Facebook पोस्ट से 

तुमने तो सीधे फ़ीस बढ़ाने का फ़रमान मुँह पे दे मारा...

अक़ल क्या वेंटिलेटर पर है सरकार....













#medicalcollege #feehike #400percentfeehike

29.03.2018 Facebook पोस्ट से 

 दिल ढूँढता..... है फिर वही...



 सर ना हुआ चकरघिन्नी हो गया..... ये वर्टिगो ससुरा बहुत बुरा ...




ये हमारे देश के शिक्षा संस्थानों का हाल है. 

Bhopal: Around 40 Girl students studying in Dr. Hari Singh Gour University in Madhya Pradesh’s Sagar city were reportedly stripped down and searched by their Hostel Warden on Sunday.

The Warden failing to find who dumped the used sanitary napkin outside the premises punished all the girl students by stripping them off their clothes, News18 reports.

{26 March 2018, Facebook  post) 



 ये छोले पूरी क्यूँ दिखाई दे रहे हैं .... लगता है कृपा वहीं अटकी हुई है .....



चोट खा कर कब डरे हैं

हक़ के लिए हर दम लड़े हैं

बीएचयू से जेएनयू तक (24 सितम्बर 2017- 23 March 2018 तक, बार-बार.... हर बार। जनता भूल जाती है पिछली बार स्टूडेंट्स ने कब खायी थी लाठियाँ। हम भूलने ना देंगे)

( 25 मार्च 2018, Facebook पोस्ट से )




.



 









 

ले लिया हस्त, लक-लक करता वह महाफलक।


ले अस्त्र वाम पर, दक्षिण कर दक्षिण लोचन
ले अर्पित करने को उद्यत हो गये सुमन
जिस क्षण बँध गया बेधने को दृग दृढ़ निश्चय,
काँपा ब्रह्माण्ड, हुआ देवी का त्वरित उदय-
"साधु, साधु, साधक धीर, धर्म-धन धन्य राम!"
कह, लिया भगवती ने राघव का हस्त थाम।

*******
"होगी जय, होगी जय, हे पुरूषोत्तम नवीन।"
कह महाशक्ति राम के वदन में हुई लीन।

(राम की शक्ति पूजा - सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'}



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