शब्दों की लकीर

 बस जो कुछ शब्दों में कहा जाए वो लकीरों से कह कर देखती हूँ ...... 

आप हाल पूछते मैं यही कहती। शायद मेरी शक्ल और शब्दों का तालमेल कम बैठता है तभी तो कोई यक़ीन ही नहीं करता जब हँस कर कह देती हूँ कि थोड़ा दर्द है ...  

फिर लगा शायद ऐसे ठीक-ठीक कह पाऊँ ...



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