सूरज के उगने की आस

 अँधेरे के हज़ार चौराहों से होकर गुज़रते

आख़िर वहीं पहुँचती हूँ जहाँ सूरज के उगने की आस ज़िंदा है

रुके तो यहीं जम जाएँगे....



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