अलबेली की दुनियाँ
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हक़ की लड़ाई

 हक़ की लड़ाई में हर क़दम साथ....

झूठ पर झूठ, झूठ पर झूठ कितनी बार

नहीं चलेगी अबकी जुमलों की सरकार !



एक दो दिन की बात थोड़ी हती ... 

पूरे जीवन भर की बात हते !!!



'सबसे बड़ी सौग़ात है जीवन’....



 हमारी बारी में तो ना हुआ

 हम फ़ेल होते-होते बचे मैथ्स में। मैथ्स का पेपर देने का वो भयानक मंज़र आँखों से जाता नहीं। इस ख़बर को पढ़-सुन ग़ुस्सा आ रहा बहुत ज़ोर से।

दो दिन मैं हनुमान जी की शरण में बैठी यही जाप करती रही
‘कौन से संकट मोर ग़रीब को, जो तुमसे नहीं जात है टारो
बेगी हरो हनुमान महाप्रभु, जो कछु संकट होय हमारो’

बताओ, कित्ती नाइंसाफ़ी है आज के पढ़ने वाले बच्चों के साथ भी और पहले के हम मैथ्स झेलने वालों के साथ भी।




#Leak_Hai_Kya #CBSEPaperLeakExpose
29.03.2018 Facebook पोस्ट से 

तुमने तो सीधे फ़ीस बढ़ाने का फ़रमान मुँह पे दे मारा...

अक़ल क्या वेंटिलेटर पर है सरकार....













#medicalcollege #feehike #400percentfeehike

29.03.2018 Facebook पोस्ट से 

 दिल ढूँढता..... है फिर वही...



 सर ना हुआ चकरघिन्नी हो गया..... ये वर्टिगो ससुरा बहुत बुरा ...




ये हमारे देश के शिक्षा संस्थानों का हाल है. 

Bhopal: Around 40 Girl students studying in Dr. Hari Singh Gour University in Madhya Pradesh’s Sagar city were reportedly stripped down and searched by their Hostel Warden on Sunday.

The Warden failing to find who dumped the used sanitary napkin outside the premises punished all the girl students by stripping them off their clothes, News18 reports.

{26 March 2018, Facebook  post) 



 ये छोले पूरी क्यूँ दिखाई दे रहे हैं .... लगता है कृपा वहीं अटकी हुई है .....



चोट खा कर कब डरे हैं

हक़ के लिए हर दम लड़े हैं

बीएचयू से जेएनयू तक (24 सितम्बर 2017- 23 March 2018 तक, बार-बार.... हर बार। जनता भूल जाती है पिछली बार स्टूडेंट्स ने कब खायी थी लाठियाँ। हम भूलने ना देंगे)

( 25 मार्च 2018, Facebook पोस्ट से )




.



 









 

ले लिया हस्त, लक-लक करता वह महाफलक।


ले अस्त्र वाम पर, दक्षिण कर दक्षिण लोचन
ले अर्पित करने को उद्यत हो गये सुमन
जिस क्षण बँध गया बेधने को दृग दृढ़ निश्चय,
काँपा ब्रह्माण्ड, हुआ देवी का त्वरित उदय-
"साधु, साधु, साधक धीर, धर्म-धन धन्य राम!"
कह, लिया भगवती ने राघव का हस्त थाम।

*******
"होगी जय, होगी जय, हे पुरूषोत्तम नवीन।"
कह महाशक्ति राम के वदन में हुई लीन।

(राम की शक्ति पूजा - सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'}







 













स्टूडेंट्स पर लाठीचार्ज..... शर्म से डूब मरो सरकार।


 (24 मार्च 2018 के Facebook पोस्ट से ...} 

अब आप समझे मोई जी कित्ते बड़े मनोवैज्ञानिक ...

घर बैठे लोग शंख-घंटे-घड़ियाल, ताली-थाली चम्मच पीटने बालकनी में निकले तो देखा अरे, बड़े मन से सब शोर का हिस्सा बन रहे।बस फिर क्या था, जनता दोगुने जोश से भर गयी। विडीओ बने, स्टोरीज़ बनी, सेल्फ़ी खिंची, कम्यूनिटी क्लोस्नेस की फ़ीलिंग बढ़ी।

घर बैठे सोशल मीडिया पर परोसने का मसाला मिला।

लॉकडाउन (मल्लब जनता कर्फ़्यू)  में ये भी मिल जाए क्या कम है, बाक़ी ध्यान अपना आपको ख़ुद ही रखना है। उसमें सरकार क्या करेगी।




























22 मार्च 2020 को इसे facebook पर पोस्ट किया गया था










 दुनिया जहान की बातें थीं उनके पास ..

ऑफ़िस के अटके और निपटाए कामों पर वे ख़ुद से और दूसरी से कहती, ये भी हो जाएगा। घर-नाते-रिश्तेदारी से लेकर पति के निकम्मेपन तक पर अफ़सोस भरी आह भरी उन्होंने, सब तो वही सम्भालती है फिर भी सलाह उन्हीं को... हुँह...

इस हुँह में उनका विरोध था.... खीज नहीं !

खीजना छोड़ दिया औरतों ने.... 

पड़ोसन की नए फ़ैशन की जींस पर उन्होंने हवा में ख़ुशी भरा हाईफ़ाइव उछाला, मुस्कुराईं और कहा- अपन भी पहनेंगे और फ़ेसबुक पर फ़ोटो लगाएँगे।ऑफ़िस में देखा था उन्हें, उस टॉप को पहन कर जाती हूँ तो कैसे घूरते हैं, दूसरी ने कहा- मुझे उसके घूरने पर तरस आया... अभी पिछली सदी में छूट गया लगता है.... 

उनके ठहाकों को दीवारें कान लगा कर सुन रही थी।







आज बड़ी गणगौर है : बड़ी गणगौर की राम-राम सबको 

गणगौर आज विदा ले रही हैं।घर से कोई जाता है तो घर थोड़ा सूना-सूना तो लगता है ना। मुझे भी ऐसा ही लग रहा है।इतने दिन त्योहार की रौनक़ रमी रही। रोज़ घर में फूल आते, दूब आती। चंदन से घर महका-महका रहा।आज मेला उठ रहा, कुछ ख़ाली ख़ाली सा रहेगा दो एक दिन। फिर वही काम, वही दुनिया, वही इंतज़ार बच रहेगा।

दुनिया को रंगने के लिए अपने भीतर भी कुछ रंग बचाकर रखने होंगे ना।

ये त्योहार ना हो तो उदासी, क्रूरता और सच से लड़ते लड़ते दम ही निकल जाए अपना। थोड़ा उत्साह, थोड़ा रंग, थोड़े से गीत लिए हर साल आती रहें गणगौर, बस यही दुआ।

( 20 मार्च 2018, Facebook वॉल में प्रकाशित )




















हिंदू नव वर्ष वाले बड्डे अंग्रेज़ी डेट का मनाएँगे लेकिन मैसेज ऐसे भेज रहे हैं जैसे सारा साल इसी पंचांग के हिसाब से चलेंगे। चलो छड्डो, सानू की.... 

माता रानी मेहर करीं, किसी नू भुक्खा ना मरवाईं...

बोल जयकारा शेरां वाली दा !

(इमेज पर टैप कीजिए, साँचे दरबार की जय पर ज़ूम कीजिए, तुरंत अच्छी सूचना मिलेगी)



ख़बरदार जो एक भी असल मुद्दा याद रखा.... 

चुनाव तक सब बस नए चुटकुले गढ़ो और कितना जोश है धमनियों में पूछते रहो। 

#लोकतंत्र_का_त्योहार 

#election2019


(18 मार्च 2019 Facebook वॉल में प्रकाशित )

 रंग बरसेऽऽऽऽ

भीऽगेऽऽऽऽ चुनर वाली, रंग बरसे .....



 


वो लुत्फ़ उठाएगा सफ़र का  
आप-अपने में जो सफ़र करेगा

_______________  ( ग़मगीन दहेलवी)

 

सफ़र में सफ़र की यादों का दिन है आज। एक के बाद एक सब याद दिला रही डिजिटल मेमरी, बताया आज ही के दिन जॉइन किया मिरांडा हाउस, आज ही के दिन मिले कई ख़ास दोस्त, आज ही के दिन एक काम पूरा हुआ।






















 ( 16 मार्च 2018 के फेसबुक पोस्ट से ... )

चेहरे पे जिनके आग है, होंठों पर फूल हैं

इन दोस्तों के सामने..................

मुझे सूझ ही नहीं रहा कि इस हिम्मत को क्या कहते हैं जो इन दोस्तों की मुस्कान से मिलती है। कोई मेरे लिए इस लाइन में लाइन जोड़ देगा ताकि मैं अपनी इन दोस्तों को सलाम भेज सकूँ।






























( 16 मार्च 2018 के फेसबुक पोस्ट से ... )

उदासियों पर नहीं चढ़ते रंग, डुबोती ही जाती है बेचैनी-सी कोई। उसने बात ही बात में एक बात कही और बिलकुल ठीक कही-

‘दुःख हमारी दुनिया बदलते हैं’






 

आँख से देखना अनुभव को समृद्ध करता है और तब कलम ख़ुद-ब -ख़ुद चलती है ...


























मन सेमल दहकता है, झरता है …

बस एक भाव है जो झरे सेमल को देख उतरा मन में.... किसी की मोहब्बत में ख़ुद उस जैसा हो जाना या नज़र भर उसे साथ लिए जीना। सेमल तो है ही... अलबेली का मन मिलता है अलग-अलग मौसम रास्ते खिलने वाले सब फूलों से।बाग़ीचों में सम्भाल-सहेज कर उगाए गए फूलों से अधिक प्रिय हैं उसे मौसम की करवट पर खिलने, लौट जाने वाले फूल। धरती को नए बीज और पंछियों को उल्लास देने वाले इन फूलों से मिलता है उसका मन। जब उनके खिलने का स्वागत मन से किया तो उनको विदा देना भी तो सीखना चाहिए।





 अलबेली जब कहे कहानी, ललमुनिया मन तरंग उठे

 भोला घोटे भाँग आज से, पार्वती छक मौज करें....




 किसी ने कहा प्रसाद को ना नहीं कहते......



इससे पहले कि

इस सदी की किताब बंद हो 

ऐसा कुछ करें कि 

हमारे हिस्से के सफ़े 

कोरे ही न छूट जाएँ !!

......... ........ ( कात्यायनी)





प्रेम और प्रतिरोध 

दोनों के लिए 

दुनियाँ की आधी आबादी को 

समर्पित अपील …..



क्रांति और संघर्षों के इतिहास ने जिस दिन की नींव रखी बाज़ार उसे गुलदस्तों और स्पेशल डिस्काउंट्स में बदल कर भटका रहा है| फिर हम सब भी एक दूसरे को फूल और कार्ड्ज़ भेज कर बधाइयाँ देने में मगन हैं।

नहीं, फूल, गुलदस्ते, बधाइयाँ नहीं एक दूसरे का साथ चाहिए।लकीर बड़ी भी तो करनी है।












#internationalwomensday #संघर्ष_हमारा_नारा_है

अपने लिए लड़ना, बोलना, खड़े होना तय करो, 

तय करो कि तमाम मुश्किलें भी तुम्हें कमज़ोर ना बना सकें!

उम्मीदों, सपनों और संघर्षों की कोई सेल नहीं लगती साथियों इसलिए......

बढ़े चलो....  बढ़े चलो..... 












#internationalwomensday


( 6 March 2019 पोस्ट  )
 

 


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